खुदीराम बोस : सबसे कम उम्र के शहीद क्रांतिकारी
आज खुदीराम बोस की 129वीं जयंती है. खुदीराम का जन्म 3 दिसंबर, 1889 को मिदनापुर जिले के हबीबपुर गांव में हुआ था. उनके पिता त्रैलोक्यनाथ बसु नराजोल इस्टेट के तहसीलदार थे और उनकी माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था. ऐसे पड़ा उनका नाम खुदीराम उस दौर में देश में नवजात शिशु मृत्युदर काफी अधिक थी. यही वजह थी कि उस समय लोग बच्चे के जीवन की कामना में कई तरह के टोटके अपनाया करते थे. उन दिनों के रिवाज के हिसाब से नवजात शिशु का जन्म होने के बाद उसकी सलामती के लिए कोई उसे खरीद लेता था. कहा जाता है कि लक्ष्मीप्रिया देवी और त्रैल्योकनाथ बसु के घर जब पुत्र का जन्म हुआ तो उनकी बड़ी बेटी ने तीन मुट्ठी खुदी (चावल) देकर उसे खरीद लिया, जिसके कारण उस बालक का नाम पड़ा - खुदीराम. फांसी पर चढ़नेवाले पहले सेनानी माना जाता है खुदीराम भारतीय स्वाधीनता संग्राम में फांसी पर चढ़नेवाले सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानी हैं. वे हंसते-हंसते मात्र 18 साल की उम्र में देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गये थे. उनकी शहादत ने देश के लोगों में आजादी की जो ललक पैदा की, उससे स्वाधीनता आंदोलन को नया बल मिला. बोस जब बहुत छोटे थे, तभी