हमारा भारत महान
भारत देश को सोने की चड़िया कहा जाता है । हमारा भारत देश वह देश है जहाँ माताएं भगवान को अपनी गोद में खिलाती हैं । हमारे देश का नाम राजा दुष्यंत और रानी शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर पड़ा । भारत देश का प्राचीन नाम आर्यवर्त था । परंतु अंग्रेजो ने इसे इंडिया का नाम दिया । हमारा कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैला हुआ है ।
यहाँ प्रकार की जातियां , प्रकार की भाषाएँ ,कई प्रकार के धर्मो के लोग रहते है । हमारे देश में कई देवी देवताओं का निवास है । और कई तीर्थस्थल भी है ।हमारे राजधानी दिल्ली है । हमारा देश कृषि प्रधान देश है । जहां कई प्रकार की फसलें उगाई जाती है । हमारे देश में कई तरह के त्यौहार मनाये जाते है । अन्न की दृष्टि में हमारा देश आत्मनिर्भर देश है । हमारा देश लोकतंत्र देश है । भारत देश एक धर्मनिरपेक्ष देश भी कहलाया जाता है ।
अंग्रेजो ने भारत देश पर २०० साल तक राज किया । इस दौरान हमारे देश में कई क्रान्तिकारी और महापुरुष हुए । हमारे देश को १५ अगस्त १९४७ में अंग्रेजो से आजाद करवाया गया । हमारे देश में कई प्रकार की संस्कृति और सभ्यता है ।
अंग्रेजो ने भारत देश पर २०० साल तक राज किया । इस दौरान हमारे देश में कई क्रान्तिकारी और महापुरुष हुए । हमारे देश को १५ अगस्त १९४७ में अंग्रेजो से आजाद करवाया गया । हमारे देश में कई प्रकार की संस्कृति और सभ्यता है ।
(रामसनेही लाल शर्मा)
उगे न जहाँ घृणा की फसलें
मन-मन स्नेह सिंधु लहराएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
जहाँ तृप्त आयत कुरान की हँस कर वेद मंत्र दुहराएँमन-मन स्नेह सिंधु लहराएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
आसन पर बैठा गिरिजाघर गुरुवाणी के सबद सुनाएँ
'धम्मं शरणं गच्छामि' से गली-गली गुंजित हो जाएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
वन में जहाँ वसंत विचरता, आम्रकुंज में हँसती होली
हर आँगन में दीवाली हो, चौराहों पर हँसी ठिठोली
दर्द अवांछित अभ्यागत हो, निष्कासित हों सब पीड़ाएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
रक्षित हों राधायें अपने कान्हा के सशक्त हाथों में
दृष्टि दशानन उठे सिया पर प्रलंयकर जागे माथों में
अभिनंदित साधना उमा की पूजित हों घर-घर ललनायें
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
आँगन-आँगन ठुमक-ठुमक कर नाचे ताली बजा कन्हैया
चाँदी-सी चमके यमुना रज रचे रास हो ताता थैया
पनघट पर हँसती गोपी के गालों पर गड्ढे पड़ जाएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
किसी आँख में आँसू आए सबका मन गीला हो जाए
अगर पड़ोसी भूखा हो तो मुझसे भोजन किया न जाए
ईद, दीवाली, बैसाखी पर सब मिल-जुल कर मंगल गाएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
हर विंध्याचल झुककर छोटी चट्टानों को गले लगाए
छोटी से छोटी सरिता को सागर की छाती दुलराए
हर घर नंदनवन हो जाए हँसे फूल कलियाँ मुस्काएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
'एक माटी के सब भांडे हैं' कबिरा सबको भेद बताए
ब्रज की महिमा को गा-गा कर कोई कवि रसखान सुनाए
एक अकाल पुरुष के सच का नानक सबको भेद बताएँ
ऐसा हिंदुस्तान बनाएँ
----> आपका अनुज कृष्णकान्त सविता
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