संघ गणगीत - भारत माँ का मान बढ़ाने बढ़ते बाँकें मस्ताने
भारत माँ का मान बढ़ाने बढ़ते बाँकें मस्ताने,
कदम-कदम पर मिल-जुल गाते वीरों के व्रत के गाने।।
ऋषियों के मंत्रों की वाणी, भरती साहस नस नस में,
चक्रवर्तियों की गाथा सुन, नहीं जवानी है बस में
हर-हर महादेव के स्वर से, विश्व गगन को थर्राने।
कदम कदम पर . . . . . . .
हम पर्वत को हाथ लगाकर, संजीवन कर सकते हैं,
मर्यादा बन असुरों का, बलमर्दन कर सकते हैं,
रामेश्वर की पूजा करने जल पर पत्थर तैराने।
कदम कदम पर . . . . . . .
हिरणाकुश का वक्ष चीर दे, नरसिंह की दहाड़ लिये,
कालयवन का काल बने जो, योगेश्वर की नीति लिए
चक्र सुदर्शन की छाया में, गीता अमृत बरसाने।
कदम कदम पर . . . . . . .
कदम-कदम पर मिल-जुल गाते वीरों के व्रत के गाने।।
ऋषियों के मंत्रों की वाणी, भरती साहस नस नस में,
चक्रवर्तियों की गाथा सुन, नहीं जवानी है बस में
हर-हर महादेव के स्वर से, विश्व गगन को थर्राने।
कदम कदम पर . . . . . . .
हम पर्वत को हाथ लगाकर, संजीवन कर सकते हैं,
मर्यादा बन असुरों का, बलमर्दन कर सकते हैं,
रामेश्वर की पूजा करने जल पर पत्थर तैराने।
कदम कदम पर . . . . . . .
हिरणाकुश का वक्ष चीर दे, नरसिंह की दहाड़ लिये,
कालयवन का काल बने जो, योगेश्वर की नीति लिए
चक्र सुदर्शन की छाया में, गीता अमृत बरसाने।
कदम कदम पर . . . . . . .
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