संघ गणगीत - आँधी क्या है तूफान मिलें
आँधी क्या है तूफान मिलें, चाहे जितने व्यवधान मिलें,
बढ़ना ही अपना काम है, बढ़ना ही अपना काम है।।
हम नई चेतना की धारा, हम अंधियारे में उजियारा,
हम उस बयार के झोंके हैं, जो हर ले जग का दुःख सारा,
चलना है शूल मिलें तो क्या, पथ में अंगार जलें तो क्या,
जीवन में कहाँ विराम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 1।।
हम अनुगामी उन पाँवों के, आदर्श लिए जो बढ़े चले,
बाधाएँ जिन्हें डिगा न सकीं, जो संघर्षों में अड़े रहे,
सिर पर मंडरता काल रहे, करवट लेता भूचाल रहे,
पर अमिट हमारा नाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 2।।
वह देखो पास खड़ी मंजिल, इंगित से हमें बुलाती है,
साहस से बढ़ने वालों के, माथे पर तिलक लगाती है,
साधना न व्यर्थ कभी जाती, चलकर ही मंजिल मिल पाती,
फिर क्या बदली क्या घाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 3।।
बढ़ना ही अपना काम है, बढ़ना ही अपना काम है।।
हम नई चेतना की धारा, हम अंधियारे में उजियारा,
हम उस बयार के झोंके हैं, जो हर ले जग का दुःख सारा,
चलना है शूल मिलें तो क्या, पथ में अंगार जलें तो क्या,
जीवन में कहाँ विराम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 1।।
हम अनुगामी उन पाँवों के, आदर्श लिए जो बढ़े चले,
बाधाएँ जिन्हें डिगा न सकीं, जो संघर्षों में अड़े रहे,
सिर पर मंडरता काल रहे, करवट लेता भूचाल रहे,
पर अमिट हमारा नाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 2।।
वह देखो पास खड़ी मंजिल, इंगित से हमें बुलाती है,
साहस से बढ़ने वालों के, माथे पर तिलक लगाती है,
साधना न व्यर्थ कभी जाती, चलकर ही मंजिल मिल पाती,
फिर क्या बदली क्या घाम है, बढ़ना ही अपना काम है।। 3।।
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